May 22: International Biodiversity Day – Protecting Nature for Human Well-being
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जैव विविधता का संरक्षण मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए अनिवार्य है।
22 मई को मनाया जाने वाला यह दिवस वैश्विक जागरूकता फैलाने का एक माध्यम है।
प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और अतिक्रमण जैव विविधता को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं।
जैव विविधता हमारे ग्रह का जीवंत स्वरूप है, जो वर्तमान और भविष्य में मानव कल्याण का आधार बनाती है। इसकी तीव्र गिरावट न केवल प्रकृति बल्कि मानव समाज के लिए भी एक गंभीर खतरा है। 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य जैव विविधता के संरक्षण के महत्व के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना है। यह दिवस मूल रूप से दिसंबर में मनाया जाता था, लेकिन 1992 में जैव विविधता पर कन्वेंशन (CBD) को अपनाने की याद में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे 22 मई को स्थानांतरित कर दिया। जैव विविधता केवल पौधों, जानवरों और सूक्ष्मजीवों की विविधता तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें प्रत्येक प्रजाति के भीतर आनुवंशिक विविधता और पारिस्थितिक तंत्र की विविधता भी शामिल है। यह विविधता हमारे ग्रह को संतुलित और स्वस्थ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर अंतर-सरकारी विज्ञान-नीति मंच (IPBES) के अनुसार, मानवीय गतिविधियों के कारण जैव विविधता अभूतपूर्व दर से नष्ट हो रही है। हालांकि, इसी रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि समाधान मौजूद हैं और अभी भी कार्रवाई करने का समय है। जैव विविधता के नुकसान का सीधा प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है। उदाहरण के लिए, जैव विविधता के क्षरण से जूनोटिक बीमारियों (जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियों) का खतरा बढ़ जाता है। दूसरी ओर, एक स्वस्थ जैव विविधता हमें महामारियों से लड़ने के लिए बेहतर उपकरण प्रदान करती है, जैसा कि COVID-19 महामारी के दौरान देखा गया।
जैव विविधता मानव सभ्यता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमें भोजन, दवा, स्वच्छ हवा और पानी जैसी बुनियादी आवश्यकताएं प्रदान करती है। उदाहरण के लिए, मछलियाँ दुनिया भर में लगभग 3 अरब लोगों को 20% पशु प्रोटीन प्रदान करती हैं, जबकि 80% से अधिक मानव आहार पौधों पर निर्भर है। विकासशील देशों में ग्रामीण आबादी का एक बड़ा हिस्सा पारंपरिक पौधा-आधारित दवाओं पर निर्भर है। इसके अलावा, प्राकृतिक संसाधनों पर वैश्विक अर्थव्यवस्था की निर्भरता भी अत्यधिक है। दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग आधा हिस्सा (44 ट्रिलियन डॉलर) प्राकृतिक संसाधनों से जुड़ा हुआ है, और प्रकृति प्रतिवर्ष कम से कम 125 ट्रिलियन डॉलर मूल्य की सेवाएं प्रदान करती है।
लेकिन मानवीय गतिविधियों के कारण जैव विविधता तेजी से कम हो रही है। IPBES की रिपोर्ट के अनुसार, स्थलीय पर्यावरण का 75% और समुद्री पर्यावरण का 66% मानवीय हस्तक्षेप से महत्वपूर्ण रूप से बदल चुका है। लगभग 10 लाख पौधों और जानवरों की प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं। यह गिरावट न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि मानव अधिकारों के लिए भी एक बड़ा खतरा है। संयुक्त राष्ट्र के एक विशेष रिपोर्टर के अनुसार, जैव विविधता का नुकसान जीवन, स्वास्थ्य, भोजन, स्वच्छ पानी और संस्कृति के अधिकारों को प्रभावित करता है।
जैव विविधता के नुकसान के प्रमुख कारणों में जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, अत्यधिक संसाधन दोहन, शहरीकरण और आक्रामक प्रजातियों का प्रसार शामिल हैं। ये कारक न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाते हैं बल्कि सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में भी बाधा उत्पन्न करते हैं। अगर इन प्रवृत्तियों को जल्दी से नहीं बदला गया, तो हम 2030 तक SDGs को प्राप्त करने में विफल हो सकते हैं।
हालांकि, स्थिति अभी भी निराशाजनक नहीं है। वैश्विक स्तर पर जागरूकता बढ़ रही है, और कई देशों व संगठनों ने जैव विविधता के संरक्षण के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। जिनेवा जैसे शहर, जो पर्यावरण शासन के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में जाने जाते हैं, कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का घर हैं जो जैव विविधता की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं। इसके अलावा, स्थानीय स्तर पर भी लोगों को जागरूक करने और टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने की आवश्यकता है।
अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस हमें याद दिलाता है कि प्रकृति और मानव समाज एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। जैव विविधता का संरक्षण न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि मानवता के भविष्य के लिए भी आवश्यक है। हम सभी को मिलकर इस दिशा में काम करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ और संतुलित ग्रह मिल सके।
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